घुटनों पर न चलना मानव
घुट - घुट कर न मरना मानव
सासों के तर बजे जब तक
तुम सिंह नाद करना मानव !
"सुख " शब्द वाकिफ़ न ही सही
दुःख भी गुलाब का फूल ही है
जो सुख क्षणभंगुर होता है
तेरे खातिर वह सुल ही है !
तूफ़ानो फ़ो सहना मानव
दावानल बन जलना मानव
कितनी विदीर्ण हो ह्द्दय मगर
तुम उफ़ तक न करना मानव !
किस्मत से कैसा खेद तुम्हें
तुम कर्म सदा करना मानव
करुणाका रस पी करके तुम
बिना हवा जी लेना मानव
ठंडी सी आग में जल लेना
गर्म लहर पर चल लेना
सब कस्टो से जल तप कर तुम
सच्चा हीरा बनना मानव !
सासों के तर बजे जब तक
तुम सिहं नाद करना मानव
तुम सिहं नाद करना मानव !
किसकी रचना है
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